अधूरे सपने

Drama 21 to 35 years old 1000 to 2000 words Hindi

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कहानी मध्य वर्गीय परिवार की है, जो मध्य वर्गीय शहर भोपाल में रहता था। पिता का नाम रमेश था, और मां का नाम सुनीता। उनके चार बच्चे थे - दो पुत्र और दो पुत्री
सबसे बड़ी बेटी अंजलि शादी योग्य थी, उसकी उम्र 23 साल थी। उसके बाद बेटा विक्रम था, जिसकी उम्र 20 साल थी। फिर बेटी नेहा, 17 साल की, और सबसे छोटी बेटी गुड़िया, जो सिर्फ 6 वर्ष की थी।
बाकी सभी की पढ़ाई चल रही थी, जिससे घर का खर्च बढ़ गया था। पिता की आय महज 20 हजार महीना थी, और परिवार की जरूरतें बहुत थीं। आय कम होने के कारण, हर महीने घर चलाना एक चुनौती थी।
रमेश एक सरकारी कार्यालय में क्लर्क थे, और सुनीता घर संभालती थी। अंजलि अक्सर मां के काम में मदद करती थी, जबकि विक्रम दोस्तों के साथ घूमने में व्यस्त रहता था। वह थोड़ा हाथ से निकला हुआ था, और बात-बात पर मुंह लड़ने वाला था।
अंजलि के लिए रिश्ते आ रहे थे, लेकिन रमेश और सुनीता को कोई भी रिश्ता पसंद नहीं आ रहा था। वे अपनी बेटी के लिए सबसे अच्छा चाहते थे। उनकी इच्छा थी कि अंजलि की शादी एक अच्छे और समृद्ध परिवार में हो।
एक दिन, विक्रम घर देर से लौटा। रमेश ने उससे पूछा कि वह कहां था, तो विक्रम ने जवाब दिया कि वह दोस्तों के साथ था। रमेश ने उसे डांटा और कहा कि उसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। विक्रम ने पलट कर जवाब दिया, जिससे दोनों के बीच बहस हो गई।
गुस्से में, विक्रम ने रमेश को कहा कि वह घर की स्थिति से तंग आ चुका है। उसने कहा कि वह हमेशा पैसे की कमी के बारे में सुनते रहते हैं, और वह इससे थक गया है। उसने कहा कि वह चाहता है कि उसके पास भी अच्छे कपड़े और गैजेट्स हों, जैसे उसके दोस्तों के पास हैं।
रमेश यह सुनकर बहुत दुखी हुए। उन्होंने विक्रम को समझाने की कोशिश की कि उन्हें धैर्य रखना चाहिए, और एक दिन वे बेहतर जीवन जी पाएंगे। लेकिन विक्रम सुनने को तैयार नहीं था। वह गुस्से में घर से चला गया।
सुनीता ने रमेश को शांत करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि विक्रम अभी जवान है, और उसे समझने में समय लगेगा। रमेश ने कहा कि वह विक्रम के भविष्य के बारे में चिंतित है। उन्हें डर है कि विक्रम गलत रास्ते पर जा सकता है।
अंजलि ने भी अपने पिता को समझाने की कोशिश की। उसने कहा कि विक्रम को थोड़ा समय चाहिए, और वह जल्द ही समझ जाएगा। उसने कहा कि वह विक्रम से बात करेगी, और उसे सही रास्ते पर लाने की कोशिश करेगी।
अगले दिन, अंजलि ने विक्रम को ढूंढ निकाला और उससे बात की। उसने उसे समझाया कि उसके पिता उसके भले के लिए सोचते हैं, और उसे उनका सम्मान करना चाहिए। उसने उसे यह भी समझाया कि पैसे सब कुछ नहीं होते हैं, और खुश रहने के लिए और भी बहुत कुछ जरूरी है।
विक्रम ने अंजलि की बात सुनी, और उसे महसूस हुआ कि वह गलत था। उसने अपनी गलती के लिए अंजलि से माफी मांगी, और उसने वादा किया कि वह भविष्य में अपने माता-पिता का सम्मान करेगा, और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देगा।
विक्रम घर लौटा, और उसने अपने पिता से माफी मांगी। रमेश ने उसे गले लगा लिया, और उसे माफ कर दिया। उस दिन से, विक्रम ने अपनी आदतों में सुधार किया, और उसने अपने परिवार की मदद करने की कोशिश की।
कुछ महीने बाद, अंजलि की शादी तय हो गई। लड़का एक अच्छे परिवार से था, और वह एक अच्छी नौकरी करता था। रमेश और सुनीता बहुत खुश थे कि उनकी बेटी की शादी एक अच्छे घर में हो रही है।
अंजलि की शादी धूमधाम से हुई। विक्रम ने भी अपनी बहन की शादी में पूरा सहयोग किया। शादी के बाद, अंजलि अपने ससुराल चली गई।
गुड़िया अब 7 साल की हो गई थी, और स्कूल जा रही थी। वह पढ़ाई में अच्छी थी, और उसे पढ़ना-लिखना पसंद था।
हालांकि परिवार खुश था, पिता रमेश के मन में अभी भी कुछ चिंताएं थीं। वह जानते थे कि उन्हें पुत्री नेहा और सबसे छोटी बेटी गुड़िया के भविष्य के लिए पैसे बचाने होंगे। परिवार की जरूरतें बहुत थीं, और आय कम थी, इसलिए यह आसान नहीं था।
एक दिन, रमेश को कार्यालय में पदोन्नति मिली। इससे उनकी आय थोड़ी बढ़ गई। यह परिवार के लिए एक बड़ी राहत थी। उन्होंने तय किया कि वे नेहा और गुड़िया की शिक्षा के लिए कुछ पैसे बचाएंगे।
साल बीतते गए। नेहा ने अपनी पढ़ाई पूरी की, और उसे एक अच्छी नौकरी मिल गई। गुड़िया भी बड़ी हो गई, और वह डॉक्टर बनने की तैयारी कर रही थी।
मध्य वर्गीय शहर के इस मध्य वर्गीय परिवार ने कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन उन्होंने हमेशा एक दूसरे का साथ दिया। उन्होंने सीखा कि प्यार, सम्मान, और एकजुटता ही जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीजें हैं।